कायस्थ सम्राट शशांक देव
कायस्थ सम्राट शशांक देव
कर्णसुवर्ण महाप्रतापी देवबंशी कायस्थ सम्राट
देवबंशी महाप्रतापी कायस्थ गौड़सम्राट शशांक देव ||:-
इतिहास में कायस्थों की महत्वपूर्ण योगदान रहा है, जिनकी जानकारी हम लोगो को नही है।
कायस्थ सम्राट शशांक देव (590-625 AD) गुप्तयुग परबर्ती भारतबर्ष के सबशे प्रतापशाली तथा सबसे बड़े साम्राज्य के अधिपति थे । उन्होंने अपनी क्षमता में गोड़प्रदेश अर्थात तत्कालीन बंगाल के सम्राट बने और कुछ ही सालों में समग्र पूर्ब तथा उत्तर भारत में अपना सक्रिय शासन स्थापन किया । उनकी राजधानी थी कर्णसुवर्ण ।
● शशांक कर्णसुवर्ण महाप्रतापी देवबंशी कायस्थ थे । तत्कालीन बंगाल में महाप्रतापी कायस्थ वंशी माना जाते थे
● साम्राज्य :- कर्णसुवर्ण के शासक बनने के बाद शशांक पहले मिथिला और बिहार पर विजय हासिल किया । फिर ओड़िशा पर आक्रमण कर समग्र ओड़िशा को जीत लिया । इसके बाद शशांक कामरूप यानी आजके असम पर आक्रमण कर एक बोहोत बड़ी हिस्सा जीत लिया । शशांक के विशाल गौड़ीय सेना उत्तर भारत आक्रमण कर कन्नौज भी जीत लिया था । इस तरह पश्चिम में कनौज से पूर्व में कामरूप और दक्षिण में कलिंग लेकर बिशाल गौड़ साम्राज्य की स्थापना किये कायस्थ सम्राट शशांक देव ।
● धर्म :- शशांक देव एक परम् शिव भक्त शैब सम्राट थे । उन्हें "नरेंद्रादित्य परमशैब" भी बोला जाता है । बुद्धगया कि बौद्ध उनकी राज्य में जासूसी करता था, इसीलिए उन्होंने बुद्धगया के बोधि वृक्ष काट दिया ।
● युद्ध :- शशांक के सबसे बड़े शत्रु थे थानेश्वर के राजा हर्षबर्धन बैस और कामरूप के राजा भास्कर बर्मन । इन दोनों शत्रुओं में मित्रता देखके शशांक मालवा के राजा से मित्रता बनाए । वीर शशांक थानेश्वर के राजा राज्यबर्धन को सम्मुख युद्ध मे पराजित कर हत्या कर दिया । हर्षबर्धन भी बहोत कोशिश के बाद भी उन्हें नही हरा पाए ।
अपने ज़िंदगी के आखरी दिन तक राज करते रहे महान कायस्थ सम्राट शशांक देव । तत्कालीन भारत के सबसे वीर सम्राट , गौड़ साम्राज्य के निर्माता नरेंद्रादित्य शशांक देव जी को शत शत नमन ।
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source:- googlopedia